आंखों पर पट्टी बांधे गुलाम अपनी मालकिन के क्रोध का बेसब्री से इंतजार करते हैं, उसके स्तनों को सहलाते और दबाते हैं, जो दर्द और आनंद की एक परपीड़क सिम्फनी है। उनकी कराहें गूंजती हैं, उनके स्तन थरथराते हैं, उनकी बंधी हुई, आंखों पर पट्टी बंधी परमानंद का एक आकर्षक वसीयतनामा।